Lalita Vimee

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औरत, आदमी और छत , भाग 7

  भाग ,7

अब  दफ्तर का काम भी मेरी समझ में आने लगा था। स्टाफ  के सभी  सदस्य  बहुत ही  सहयोगी थे।आज का लंच भी स्टेनो दीदी ही लाई थी। बहुत ही लज़ीज़ खाना होता था उनका। शायद वो बहुत प्यार से बनाती थी इसलिए ही वो इतनी ल़ज़ीज लगता था।
    शाम को हॉस्टल आई तो मिन्नी हास्टल में बैठी  कोई स्वेटर बना रही थी।मैने सोचा शायद रीतिका के लिए होगा।

   हाय मिन्नी

अरे नीरजा कैसा रहा आज का दिन।

  बहुत बढि़या और तुम्हारा, लंच में बकवास के साथ चाय पी क्या।

ओह क्या क्या याद रखती हो तुम भी। वह मुस्कराई थी।
किस का स्वेटर बना रही हो ,रीतु का है क्या।

रीतू कौन रीतू?

अरे अपनी वो नन्ही शहजादी रीतिका।

नहीं और किसी का है।

अच्छा ये बताओ बाजार कब चलोगी?

तुम्हें लाना क्या हे।

भ ई कुछ दिनचर्या का जरूरी सामान ले आयेंगे।

थोड़ा रूक जाओ न अभी चलते  हैं।

मैने पन्द्रह बीस मिनिट लगा दिए थे,फ्रेश होकर, कपड़े बदलने में। अपनी अलमारी भी ठीक कर ली थी मैने।मिन्नी ऊन के घर बनाने में इस कदर खोई थी कि उसे  मेरी आहटों से कोई वास्ता ही नहीं था जैसै। मेरा भी मन उसको डिस्टर्ब करने को बिल्कुल नहीं था। मैने दो कप चाय बना कर  दो लड्डू निकाले थे,एक प्लेट में एक  लड्डू और चाय मिन्नी के  सामने रख दी थी। तभी पास के कमरे वाली लड़की ने आकर मिन्नी का ध्यान  खीच दिया था।
कोई अच्छा सा कुरता दे मिन्नी तेरा कल मेरे डिपार्टमेंट में पार्टी है।

मिन्नी की तपस्या रत बोझिल सी पलकें उठी थी।
को न सा चाहिए?

कोई भी, पर सबसे अच्छे वाली।

अलमारी है न सामनें जो चाहिए वो ले ले।चाय पीनी हैआधी दे दूंगी।

अभी पीकर आई थी। कन्नु अलमारी को ही  टटोल रही थी।

कुछ परेशान हो क्या मिन्नी।

नहीं नहीं हमे तो अभी बाजार चलना है , मैं कपड़े बदल लेती हूँ।

मुझे ये कुरती पसंद आई तेरी।

वह चली गई थी,कुरता लेकर।

मिन्नी भी कपड़े बदलने चली गई थी।

हम बाजार चले गए, लगभग दो घन्टे लग ग ए थे। रात के आठ बज गए थे हमें वापिस आते आते।
   हम आकर खाने के बारे में ही सोच रहे थे बहुत सारी सब्जियां जो लाए थे।अत़ में दलिया वो भी सब्जियों के साथ तय हो गया था। हम बिना कपड़े बदले ही खानें की तैयारी  में लग गए थे। मैं सब्जियां काट रही थीऔर मिन्नी दलिया भून कर उबाल रही थी।ये वाली डिश उसी के दिमाग की उपज थी। वो इस को पहले भी बनाती थी पर  मैं तो पहली बार ही खा रही थी । मिन्नी ने दूसरे चूल्हे पर सब्जियांभी छौंक कर चढ़ा दी थी। फटाफट हमारा ये दलिया विध वैजीटेबलस  बन  गया था।

हमने खाना शुरू ही किया था कि मिन्नी फोन है  चौकीदार की तेज आवाज आई थी ।

वो खाना छोड़ कर नीचे भागी थी।

  भागती हुई  वापिस  आई थी मुझे अभी जाना होगा।

कहाँ क्या हुआ।

शहर के एक गर्ल्स हॉस्टल में रेप और मर्डर हो गया है।मेरी एक  फ्रेंड  पुलिस विभाग में, उसी का फोन था।
वो अपनी डायरी ओर पेन इकठ्ठा करने लगी थी।

मिन्नी जल्दी से खाना खत्म करो पहले। 

नहीं मुझ से नहीं खाया जायेगा।मैने प्लेट उठा कर उसकी तऱफ कर दी थी। प्लीज यार।

उसने बहुत जल्दी जल्दी मेरे ख्याल से एक ही मिनिट में खाना खत्म कर लिया था। अकेले सोने में डर लगे तो कन्नु को बुला लेना  नीरजा। मेरे आने का कोई पता नहीं।मैं ज्यादा लेट हुई तो नीचे गैस्ट रूम में सो जाऊँगी।

वो जैसे भागती हुई सी चली ग ई थी।

मैने खाना खाकर रसोई साफ की ही थीकि कन्नु दूध देने आ गई।

मिन्नी कहाँ ग ई?

रिपोर्टिंग के लिए,किसी हास्टल के पास रेप और मर्डर हो गया है।

इस शहर में जो ना हो वो ही ठीक है।

ज्यादा क्राइम है क्या इस सिटी में।

अरे यार  दो यूनिवर्सिटी हैँ, फिर कितने कॉलेज हें प्राइवेट भी सरकारी भी।कितने बच्चे तो बाहर से ही पढ़ने आते हैं यहाँ।

और आजकल लड़के लड़कियाँ अपने माता पिता द्वारा दी हुई आजादी का दुरुपयोग ज्यादा करते हैं।

हम्म, सही कह रही हो।

  खाना खा लिया तुमनें कन्नु?

नहीं यार अब जाकर खाऊँगी, तुम्हारा दूध देने  आ गई थी।तुमनें खा लिया, मिन्नी खा ग ई।

  हाँ मैने भी खा लिया ,और उस को भी खिला दिया भागते भागते।

ठीक है तुम दोनों के साथ रहने से कम से कम दो टाईम का खाना तो बनाने  खाने लगेगी वो भी। 

कन्नु तुमने क्या बनाया है आज?

मैं तो आज  लंच देर से खाया था तो अब तो मैं मैगी ही बनाऊँगी।

अरे  रहने दो हम लोगों ने दलिया बनाया है सब्जियों के साथ ,तुम भी मैगी की बजाय वही खा लो अच्छा बना है, मैने तो पहली बार ही खाया है पर अच्छा  लगा मुझे तो।

हाँ बनाती है मिन्नी कभी कभी वैजिटेबलस दलिया।

तो चलो खाओ, मैने उसकी तरफ़ प्लेट करते हुए कहा था।
नहीं नीरजा जाऊँगी कमरे में ही खा लूंगी। सुबह थोड़ा जल्दी भी निकलना है सुबह डिपार्टमेंट में पार्टी है। 
औके गड लक एन्ड गुडनाइट।

गुड नाईट कहती हुई वो चली गई थी। मैने भी कमरा व्यवस्थित किया और सुबह के लिए कपड़े  प्रेस कर लिए। अलार्म लगा कर ही सोई थी मैं, क्योंकि मुझे से जल्दी नहीं उठा जाता था और आज मिन्नी भी नहीं थी। सुबह  छह बजे अलार्म बजने लगा और मैं कहीं जाकर साढेछह  बजे उठी। मैने  ब्रश करते हुए चाय चढ़ा दी थी। चाय पीते पीते मैने दाल भी चढ़ा दी थी। आठ बजे तक मेरा सारा काम तैयार था मिन्नी के लिए भी लंच बना दिया था मैने।
मैं तैयार हो ही रही थी कि तभी कन्नु आई , मिन्नी मिन्नी, मुझे अकेला देख कर बोली ,नीरजा ,"मिन्नी की तरह बताना मैं कैसी लग रही हूँ?
पर कन्नु मैं नीरजा हूँ, तो मिन्नी की तरह कैसे बता सकती हूँ?
बता सकती हो बिल्कुल स्पष्ट बता कर।
बहुत ही प्यारीऔर सुंदर मैने उसके बाल थोड़ा और फैला दिए थे पीछे की तरफ़। वो थैंक्स बोल कर चली गई थी।
मैं अपना बैग और लंच पैक कर चुकी थी।सोच रही थी अभी तो समय है आधा घंटा और मिन्नी का इतंजार करती हूँ।
तभी चौकीदार उपर आया था।मिन्नी के गैस्ट आयेंहैं।
पर वो तो नहीं है वो तो डयूटी चली गई थी रात को।
मैने बता दिया है पर वो कहते हैं कुछ सामान है उस की रूम मेट को बुला दीजिए। मुझे थोड़ा अजीब लगा,पर मैं चौकीदार के साथ नीचे आ ग ई थी।.
नीचे आकर देखा तो वीरेन्द्र थे।

नमस्कार मैडम।

मेरे भी दोनों हाथ जुड़ गए थे।

मिन्नी तो है नहीं, कुछ सामान था,अगर आपको दिक्कत न हो तो ,आप प्लीज उपर ले जाईए।
कोई बात नहीं मैं ले जाती हूँ। मैने औपचारिक होते हुए कहा था।

आप उन्हें कह दीजिए गा, संभव हुआ तो मैं शाम तक आउँगा।

जी जरूर। वो मुड़ने लगा,तो उसके हाथ जुड़ गए थे।मैने भी हाथ जोड़ दिए थे।

वो सामान थोड़ा नहीं था चार पाँच पैकिट थे ,मैं दोबार में उठा कर ले ग ई थी।

मै ताला लगा कर आफिस़ आ गई थी।मिन्नी के पास एक और चाबी  भी थी। 

मेरे मन में फिर सोच घूमने लगी थी, वीरेंद्र और मिन्नी को लेकर पर आटो से उतरते उतरते मैने अपनी सोच को वहीं झटक दिया था।

आज आफिस़ में काम कुछ ज्यादा था।तभी चपड़ासी आया था, नीरजा  मैडम, "आप के लिए फोन है"।
मेरे लिए, मुझे हैरानी हुई थी। मैं उसके पीछे चली गई थी।
जी कौन साहब बोल रहे हैं?

साहब नहीं  नीरजा मैम दिस इज मृणाली हियर।

ओह मिन्नी पर यहाँ का नम्बर तो अभी मुझे भी मालूम नहीं यार ,और तुम।
जी हाँ ,मैं ,क्योंकि मैं रिपोर्टर हूँ, और खबरें, फोन नम्बर रखना मेरी डयूटी है। ऐनी वे। थेंक्स फार खाना, शामको मिलते हैं।और हाँ ये  बैड पर तुम्हारा कुछ पैकिट रखे हैं, कोई आया था क्या घर से।
ये मेरा सामान नहीं डियर तुम्हारा है।वीरेंद्र आये थे सुबह वही देकर ग ए हैं।

ओके शाम को मिलते हैंं।सारी आफिस़  टाईम में  डिस्टर्ब किया।

कोई बात नहीं मिन्नी।

मैने स्टेनो दीदी के साथ लंच किया ,मैने उन्हें बता दिया कि मैं आप जैसा उम्दा खाना नहीं बना सकती मुझे तो.सिर्फ काम चलाऊ ही बनाना आता है।
उन्होंने अपना टिफिन मुझे देकर मेरा खुद उठा लिया था।तुम्हें ये अच्छा लगता है तो तुम यही खा लो नीरजा, मुझे तो तुम्हारा बनाया भी बहुत अच्छा लग रहा है।
  बिल्कुल घर जैसा लग रहा था आफ़िस भी और   हॉस्टल भी। 
शाम को आई तो मिन्नी तो  थी ही नहीं, दरवाजे पर ताला लटका था।मैने भी बिना आराम किए अपने मैले कपड़े धो डाले। गैलरी में सुखाने गई तो देखा  कि मिन्नी के कपड़े भी वहाँ सूख रहे थे इस कि मतलब वो कपड़े वगेरह धोकर गई है। 
कपड़ें धोते  धोते नहाने का मूड बन गया था ,क्योंकि मैं कपड़े धोते वक्त लगभग गीली हो जाती हूँ।।
माँ भी कहती थी ,घर के काम  की   तमीज़ सीखो अगले घर जाकर पागल लगोगी वरना।
मैं मन ही मन माँ को याद करती हुई नहाने लगी थी।दरवाजे पर दस्तक हुई थी।

कौन है मैने नल को बंद कर दिया था।

दीदी मैं  विक्की माँ ने दलिया और   सेवई भेजी है।
आवाज किसी छोटे बच्चे की थी।

पर बेटा, 

दीदी गेट पर रख कर जा रहा हूँ।

जो भी था, शायद मुझे बिना सुने ही चला गया था।

मैने नहाकर दरवाजा खोला ही था कि मिन्नी भी आ गई, उसने गेट पर रखा सामान उठा लिया था।

अरे वो विक्की मुझे रास्ते में ही मिल गया था, पूछ रहा था आपकी आवाज तो कमरे में से आ रही थीं, फिर आप यहाँ पर क्या कैसे?
  यार कोई बच्चा बोल तो रहा था, पर मैं बाथरुम में थी।
  मैं समझ ग ई थी  अच्छा ये बताओ, इतनी अच्छी दाल बना नी कहाँ से सीखी नीरजा, मुझे तो बहुत ही अच्छी लगी।

रहने दे  रहने दे मिन्नी मत मजाक बना यार।

मजाक नहीं है , आय एम सीरियस डियर। 

बस कर बहुत हुआ। मैने उसे प्यार से डपटते हुए कहा था।

तभी नीचे से चौकीदार की आवाज़ आई थी।
मिन्नी गैस्ट हैं तेरे।

वो वापिस ही नीचे चली ग ई थी, सुबह वाले  पैकिटस ज्यों के त्यों  मेज पर रखे थे, उन्हें खोला नहीं गया था।शायद मिन्नी ने पंलग से उठा कर मेज पर रख दिया था।

कैसी है ये लड़की, मुझ में तो इतना धीरज नहीं कि कोई मेरे लिए कुछ लाए और मैं उसे खोलूं भी नहीं।

            फिर  मुझेअपनी ही सोच पर थोड़ा  गुस्सा भी आया कि मुझे क्या पता ये मिन्नी के लिए ही हों, कहीं वीरेंद्र किसी और का सामान उसे पहुंचाने के लिए दे ग ए हों।

तभी चौकीदार के साथ एक लड़का ऊपर बैड रखवाने आया था।

नीरजा ये अपना बैड संभालो और नीचे आकर साईन कर दो।

सुबह कर दूं चाचा आभी थोड़ा काम है।

बेटा ,वॉर्डन की सख्त हिदायत है,जो सामान दो, उसी  वक्त  लड़कियों के  साईन करवा लो। वो अभी आफिस़ में ही बैठी  है इसलिए तुम्हें नीचे बुला रहा हूँ।।
कोईबात नहीं चाचा आती हूँ।

मैं नीचे आई तो देखा कि मिन्नी और वीरेंद्र खड़े हैं शायद चलने की तैयारी में हो।मैं उन्हें अनदेखा कर आफिस़ में घुस गई,उन्होंने भी मुझे नही देखा था।वार्डन शायद ऑफिस से सटे अपने कमरे में  थी। मैने आवाज़ दी तो  वो बोली बैठो, आ रही हूँ।

तभी मुझे एक  जोर से आवाज़ सुनाई दी ,मैंने बोला न कुछ नहीं है ऐसा, शायद वीरेंद्र ही है। क्योंकि गेस्ट रुम में उन दोनों के सिवाय कोई नहीं था। 

मिन्नी प्लीज विश्वास करो।

मैने कब कुछ कहा है तुम्हें।

तुम कुछ कह दो तो चीजों का समाधान ही हो जाए।

मुझे सिर्फ तीन महीने का वक्त दे दो, मैं सब ठीक कर दूंगा।

मैं  जाऊं अब।मिन्नी की धीमी सी आवाज़ थी।

मैने जो बोला वो सुन लिया न  तुमनें, और हाँ वो सामान चैक कर लेना  प्लीज।

सुन रही हो न बड़ा इसरार था उसकी आवाज़ में।
मिन्नी तुमसे बात कर रहा हूँ  दीवार से नहीं। 

ठीक है  जाओ अब।

सामान चैक कर लेना प्लीज़,

अब जाओ भी टाईम हो गया है।

उफ्फ़।

वीरेंद्र बाहर निकल गया था, मिन्नी भी ग ई थी शायद गेट तक।

गेट बंद होने की आवाज़ आई थी किसी के पदचाप की आवाज़ थी,शायद मिन्नी  ऊपर जा रही थी।
तभी वॉर्डन भी आ गयी थी, सारी नीरजा गेस्ट आ गए थे।

यहाँ साईन कर दो।

   जी मैम।

अरे मिन्नी भी तो नीचे ही है, वीरेंद्र आया  हुआ था न। 
वो चले ग ए हैं मैम ,मिन्नी  भी ऊपर  चली गई है।

अच्छा ठीक है। 

गुड नाईट मैम।

गुड नाईट नीरजा। 

मैं ऊपर  गई थी, मिन्नी रसोई में थी।

क्या कर रही हो मिन्नी,

कुछ नहीं नीरजा ये दलिया वगैरह डिब्बों में डाल रही हूँ।

अच्छा रात को क्या सब्जी बनानी है। 

अरे मिन्नी वो दलिया ही बनाएं जो कल बनाया था।

तुम्हें अच्छा लगा था।

बहुत ज्यादा यार,और कहते भी तो हैं,फाईबर से वजन नहीं बढता।

अच्छा जी तो ये वजन  कम करने की तैयारी है,पर तुम तो एकदम फिट हो नीरजा।

अरे नहीं यार सारा दिन आफिस़ में बैठे रहना । 

  चलो ठीक है वैसे भी ये विक्की की मंमी आशा दीदी है न ये दलिया बहुत अच्छा तैयार करती हैं। इन के घ र में ही चक्की है,और ये घर में और भी चीजें बनाती हैं,और सब हाथ से ही बनाती हैं जैसे पापड़, सैवंई वगैरह।चिप्स भी बनाती हैं वो  दीदी ।

किसी दिन मुझे भी ले चलना वहाँ मिन्नी।

पक्का चलेंगे, वो बाते करती  हुई बाहर से कपड़े भी उतार रही थी।

वो पैकिटस अभी भी मेज पर  रखे थे।

मिन्नी फिर रात को जागरण रहा या सो पाई।

नहीं नीरजा यहाँ से सीधा मैडिकल ले गए  पुलिस वाले उस लड़की को , वहाँ  से एक घन्टे के बाद  फिर उसी मैडिकल हॉस्टल में एक स्टाफ नर्स मेरी बहुत अच्छी दोस्त है।मैं उसी के रूम में सो ग ई थी। सुबह फिर पोस्टमार्टम विभाग जाकर दोनो अखबारों के लिए खबर बना कर फिर नहाने हॉस्टल आई थी।यहाँ आकर नहा कर आपके हाथ का इतना बढि़या खाना खाया कि मजा आ गया।

क्रमशः
औरत आदमी और छत।
लेखिका, ललिताविम्मी।
भिवानी, हरियाणा

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